हिंदुस्तान है कुर्बान
किसी रात ऐसा हो सकता है. वो उठें और एक के बाद एक ट्वीट करने लगें.
सुबह हो तो वो आधा हिंदुस्तान जिसे आप जानते हैं और थोड़ी बहुत बातचीत करते हैं, आपको बताने लगे कि उन्होंने कितने मिनट के बीच कितने ट्वीट किए.
उनकी तमाम गर्लफ्रेंड्स के नाम हर वो शख्स जानता है, जिसे आप जानते हैं.
उनकी लवस्टोरी कब शुरु हुई. कब तक चली. फिर 'उसे' कौन ले उड़ा? ये किस्सा कोई भी बता सकता है.
आपका प्लम्बर. दूध वाला. अखबार वाला. माली. जिम इंस्ट्रक्टर. आपका बॉस भी.
उनके हर केस की जानकारी होने के लिए आपका वकील होना जरुरी नहीं.
और, उनकी फिल्मों के बिजनेस की जानकारी के लिए न फिल्म पंडित होने की जरुरत है और न ही फिल्मों दिलचस्पी रखने की.
फिल्म में कहानी क्या थी? गाने कैसे थे लोकेशन कैसी थी? किसे याद रहता है.
थियेटर से बाहर निकलने वाले कभी ये बताने में दिलचस्पी नहीं लेते कि फिल्म कैसी थी?
वो तो बस यही कहते हैं, 'सलमान रॉक्स'
'सलमान वाज़ सुपरब'
'ही इज़ रीयल रॉक स्टार'
अब आपको पता है कि उनके पिता हिंदुस्तानी सिनेमा के मशहूर स्क्रिप्ट राइटर थे तो ये आपकी ग़लती है.
और आपने ये ग़लती सवाल की शक्ल में आगे बढ़ा दी तो जवाब मिलेगा
'यार कहानी देखने कौन जाता है. हम तो सलमान को देखने जाते हैं'.
जी हां, सलमान खान हिंदी सिनेमा के वो सितारे हैं, जिसका अपना आसमान है
और, मसाला फिल्मों में अपने सपनों की दुनिया खोजने वाला हिंदुस्तान अब इसी आसमान के नीचे बसेरा करता है.
ऐसी फैन फॉलोइंग तो एक्टिंग के शहंशाह दिलीप कुमार को भी नसीब नहीं हुई.
एक मैगज़ीन ने खुलासा किया है कि अमिताभ बच्चन कमाई के मामले में अब भी सलमान खान को टक्कर देते हैं.
स्टारडम के लिहाज से हिंदुस्तान ने अमिताभ बड़ा सितारा नहीं देखा. (असहमत हों तो माफ कीजिएगा मैं अमित जी का फैन हूं)
उनकी एक्टिंग का भी हर कोई लोहा मानता है
लेकिन, आपको ऐसी कितनी फिल्में याद है, जिसमें अमिताभ बच्चन हों और जिसकी स्टोरी या डॉयलॉग दमदार न हो, वो बॉक्स ऑफिस पर झंडे लहरा गई हो.
आमिर खान तो बिना उम्दा पटकथा के काम करने को ही तैयार नहीं होते.
और शाहरुख खान, उनका स्टारडम तो हमेशा से बड़े बैनर के भरोसे ही टिका है.
इन सबके बीच सलमान खान कहां हैं?
ईद पर 'बजरंगी भाईजान' आई तो भाई लोगों ने कहा, 'बहुत दिनों के बाद सलमान की कोई फिल्म आई है जिसमें कोई कहानी है'.
मतलब? बहुत दिनों से सलमान जिन फिल्मों में काम कर रहे थे, उनमें कोई कहानी ही नहीं होती थी?
ऐसा आंकलन मेरा नहीं.
मै सलमान का उस अंदाज में मुरीद भी नहीं.
ये बात अलग है कि उन्होंने जिस 'सौ करोड़' के क्लब की नींव डाली है, उसमें चंदा मैंने भी दिया है. यानी उनकी लगभग हर फिल्म देखी है.
सलमान ने मेहनत से बॉ़डी बनाई है. पचास की उम्र में भी वो चॉकलेटी हैं. एक्शन भी हिला देने वाला करते हैं.
लेकिन, उनके पास न तो अमिताभ बच्चन जैसी जादुई आवाज है. न दिलीप कुमार और आमिर खान जैसी एक्टिंग की काबीलियत. वो गोविंदा और हृतिक की तरह नाच भी नहीं सकते. सनी देओल की तरह चीख नहीं सकते और शाहरुख की तरह रो नहीं पाते.
लेकिन, एक स्टार के तौर पर सलमान इन सभी से मीलों आगे जा चुके हैं.
स्टार वही है, जिसकी चमक में दुनिया को कुछ और दिखाई नहीं दे. बाकी सबकुछ धुंधला हो जाए.
साल 1989 के दिसंबर महीने में 'मैनें प्यार किया रिलीज' होने के बाद सलमान पर न जाने कितने और कैसे कैसे आरोप लगे.
कितनी बार उनकी एक्टिंग का पोस्टमार्टम हुआ
कितनी बार उनकी निजी ज़िंदगी की चीर फाड़ की गई.
कितनी बार उनके करियर के खत्म होने का एलान किया गया.
जाने कितनी बार
लेकिन हर बार सलमान नाम के सितारे की चमक कुछ और बढ़ गई.
सलमान के स्टारडम का असल मतलब तो मुझे तब समझ आया, जब 'दबंग' रिलीज हुई.
मेरे चार बरस के भांजे ने मेरी जेब के मुताबिक मेरे बेशकीमती धूप के चश्मे को उठाया. अपनी कॉलर में टांगा और खालिस सलमान स्टाइल में 'दबंग... दबंग.. दबंग' करने लगा.
वो रीयल सलमान को नहीं जानता. उनकी ढेर सारी लव स्टोरीज़ से भी अनजान है. उसे उन पर चलते मुकद्मों की भी जानकारी नहीं. वो सलमान के ट्वीट भी नहीं पढ़ता.
लेकिन सलमान की हर फिल्म देखने ज़िद करता है. सलमान जैसी बॉडी बनना चाहता है और आगे कभी सलमान जैसा ही स्टार बनना चाहता है.
बच्चे की बात छोड़ए. अपने मोदी जी से पूछ लीजिए. सलमान के स्टारडम को बयान करने वाली कहानियां तो उनके पास भी हैं.
Waiting for your blog on BigB also.....
जवाब देंहटाएं