...जो 42 साल से उतरता ही नहीं!
'जो 25 बरस में नहीं हुआ वो अब होगा'
यश चोपड़ा की 'दीवार' में जब अमिताभ बच्चन ने ये डॉयलॉग बोला तो किसे अंदाज़ा रहा होगा, वो भविष्य बता रहे हैं. आज करोड़ों लोग कोर्ट में खड़े होकर 'गीता' की शपथ लेकर कह सकते हैं, 'अदाकारी में अमिताभ जैसा करिश्मा ना हुआ था, ना हुआ है.'
ये जादुई आवाज़ का असर है, आर पार उतर जाने वाली आंखें का जलवा है, आसमान छूते कद का प्रताप है, भगवान दादा स्टाइल डांस स्टेप्स हैं, ठसक में कमर पर हाथ रख खड़े होने की अदा है या फिर 'हांय' बोलने का बेमिसाल अंदाज है, वो क्या है जो हिंदुस्तान को उनके सम्मोहन से बाहर आने ही नहीं देता? इस सवाल का जवाब पाने के लिए एक डीटेल्ड रिचर्स जरुरी है. 1975 में रिलीज़ हुई 'दीवार' के पच्चीस साल पहले और चालीस साल बाद यानी अब तक अमिताभ के औरे के आसपास भी कोई नहीं दिखता.
सचिन तेंदुलकर के 'वनमैन आर्मी' बनने के दो दशक पहले अमिताभ 'वनमैन इंडस्ट्री' का रुतबा पा चुके थे. सचिन बल्ला टांगकर रिटायर हो चुके हैं, लेकिन, अमिताभ अब भी जमे हुए हैं. 72 की उम्र में पॉट पर बैठ कर जब वो 'पिडली सी बातें' गातें हैं तो कोई नाक-भौं नहीं सिकोड़ता बल्कि गाने के सुर ही पकड़ता रह जाता है.ऐसे ही किसी पल में अमिताभ एक्टिंग के खांचे से निकलकर ऐसी 'स्क़ॉच' बन जाते हैं जिसका नशा कभी उतरता नहीं. (शमिताभ में आदरणीय बच्चन जी ने खुद का परिचय दिया है, 'स्क़़ॉच मैं')
नरेंद्र मोदी जब गुमान में कहते हैं, 'हम सबसे युवा देश हैं. हमारी आधी से ज्यादा आबादी पैंतीस साल से कम लोगों की है' तो ऐसे तमाम लोग मुस्कुरा के रह जाते हैं, जो उम्र के साठ और सत्तर दशक देख चुके हैं. वजह ये है कि अमिताभ इस पीढ़ी को 'बूढ़ा' होने ही नहीं देते. इस उम्र के तमाम लोग अमिताभ को देख-देखकर जवान हुए जाते हैं. उम्रदराज़ों ने तो जुमला ही बना लिया है, 'बुड्ढ़ा होगा तेरा बाप'
खूबी ये भी है कि अमिताभ नाम का करिश्मा किसी खास उम्र तक सीमित नहीं. चालीस साल पहले हिंदुस्तान का हर शख्स नाम पूछे बिना ही बता देता था, 'माई नेम इज़ एंथनी गोंजालविस' तो आज सेलिब्रेट करने का कोई मौका सामने आने पर हर कोई यही कहता है,'पार्टी तो बनती है.'
अमिताभ का असर पॉलटिकल पार्टियों पर भी एक सा है. राजीव गांधी और बाल ठाकरे उनके दोस्त रहे हैं. नरेंद्र मोदी और मुलायम सिंह ने उन्हें ब्रॉन्ड एंबेसडर बनाया है. हिंदुस्तान पर बरसों राज करने वाले अंग्रेज भी उनके दीवाने हैं. लंदन में महात्मा गांधी की मूर्ति के अनावरण पर उन्हें बुलाया जाता है. इंग्लैंड के प्रधानमंत्री किसी आम फैन की तरह बड़े फ़ख्र से उनके साथ खड़े होकर फोटो खिंचाते हैं.
ओलंपिक एसोसिएशन अमिताभ को मशाल थमाती है. उन्हें ब्रॉन्ड एंबेसडर बनाने के लिए कंपनियां लाइन लगाए रहती हैं. उन्हें हिंदुस्तान का सबसे उम्दा गेम शो होस्ट माना जाता है. स्क्रिप्ट राइटर आज भी खास उनके लिए कहानी लिखते हैं. जिस उम्र में उनके हम उम्र सीधे खड़े नहीं हो पाते अमिताभ गुंडों की फौज़ को मारते हुए भी अविश्वसनीय नहीं लगते.
वो ना झुकते हैं और ना ही रुकते हैं. थकना तो शायद उन्होंने सीखा ही नहीं. अमिताभ फिल्म के पर्दे पर ना दिखें तो टीवी पर नज़र आ सकते हैं. वो ट्विटर और फ़ेसबुक पर भी मौजूद रहते हैं... इतने सबके बाद भी वो ब्लॉग लिखने का वक्त निकाल लेते हैं. इस ब्लॉग ने आज सात साल पूरे कर लिए हैं. अमिताभ नाम के 'नशे' में डूबे हर ब्लॉगर के लिए पार्टी तो बनती है!
रुके न तू , थके न तू
जवाब देंहटाएंझुके न तू , थमे न तू
सदा चले , थके न तू
रुके न तू , झुके न तू
हरिवंश रॉय बच्चन
बच्चन की पंक्तियों पर चलते बच्चन... बहुत खूब निलेश
जवाब देंहटाएंये तो 'राय'शुमारी में 'बच्चन'शुमारी हो गई। मजा आ गया
जवाब देंहटाएंधन्यवाद दादा
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