शनिवार, 22 अगस्त 2015

कभी हंस भी लिया करो

हाल-ए-दिल पे ही सही 


अचानक ख्याल आया. 

चचा गालिब ने यूं ही तो नहीं कह दिया होगा 

'पहले आती थी हाल-ए-दिल पे हंसी, अब किसी बात पे नहीं आती'. 

कोई तो बात होगी. फिर खुद को टटोला. गिनती की और हैरान रह गया. 

उस 'नन्ही परी' को जब मुस्कुराते देखता हूं, बस तभी खिलखिलाने को दिल करता है. बाकी वक्त तो न हंसी अपने पास आती और न हम उस तक जाने की कोई कोशिश करते हैं. 

वैसे देखिए तो हंसी को किसी के बुलावे का इंतज़ार तो होता नहीं. खुशी जब कभी दिल के करीब दस्तक देती है, वो बिना बुलाए चली आती है. 

पूरी दुनिया उसकी कद्र भी जानती है. 

कहने को तो हर कोई कहता है, 'मुस्कुराते रहो. हंसते रहो'

लेकिन हंसी नसीब कितनों को होती है? 

ये हंसी इतनी दुर्लभ न होती तो बाज़ार में हंसने- हंसाने की दुकानें भी न सजतीं. 

व्हाट्सअप हो, टीवी हो या फिर कोई फिल्म. हर जगह, हर वक्त, हर कोई हंसाने की कोशिश में लगा दिखता है. 

हंसी आती भी है, मगर खोखली सी. खुशी की पालकी पे बैठ के नहीं आती. 

टीवी और फिल्मों  में तो हंसाने का अजब सा फंडा चल पड़ा है. 

या तो किसी की बेवकूफी पर हंसाने की कोशिश होती है या फिर किसी की बेइज्जती करके. 

ये बेइज्जती वाला फंडा शायद पाकिस्तानी नाटकों से आया है. 

मानो हंसाने वाले माने बैठे हों कि जब तक किसी के गाल पे 'झन्नाटे' वाला नहीं पड़ेगा, हमारी हंसी का गुब्बारा फूटेगा ही नहीं. या फिर जब तक हमारे सामने कोई निपट मूरख नहीं आएगा, हम हंसी की महफिल सजाएंगे ही नहीं. 

हंसी के वो हल्के फुल्के लम्हे तो गायब से ही हो गए हैं जो कई बार इत्तेफाक से आते थे और गुदगुदा के चले जाते थे. कई बार ठहर भी जाते थे और हंसते-हंसते ऐसा लगता था कि कहीं जान ही न निकल जाए. 

मसलन, आपने पेट दर्द का बहाना बनाके स्कूल की छुट्टी कर दी हो, छत पर पतंग उड़ाने चढ़ गए हों और तभी छोटा भाई आकर ख़बर दे. 

'भैया मैथ वाले सर आ रहे हैं तुझे देखने'. 

और आप पतंग, चरखी, चप्पल सब छोड़ के भागे हों, छत की सीढ़ियां फलांगते हुए अपने कमरे की तरफ. तभी सर घऱ की घंटी बजाते हैं और घर के सारे लोगों की हंसी छूट रही हो और आप समझ नहीं पा रहे हैं कि मुंह दबाएं कि पेट. 

लोगों को हंसाने के लिए अब लाफिंग क्लब चल रहे हैं. लेकिन मेरी दिलचस्पी उस खोखली हंसी में नहीं. मैं तो चाहता हूं कि आप हंसे तो ऐसे जैसे कुदरत के आशीर्वाद से फूल हंसते हैं. खुलकर. खिल- खिलाते हुए. 

मैं प्रयोग शुरु कर रहा हूं. आप भी आजमा सकते हैं. बेवकूफी पर ही हंसना है तो अपनी बेवकूफियां चुनें. बेइज्जती पर ही हंसना है तो तभी हंसे जब कोई आपको धो दे. 

चलते-चलते एक हंसगुल्ला, शायद आपको पसंद आए. मैं तो इसे पढ़ते ही हंस पड़ा था. 

रिजल्ट का दिन था. 

दो दोस्तों को साथ स्कूल जाना था. एक को लगा कि वो पास नहीं होगा तो बीमारी का बहाना कर घर पर ही रुक गया. 

स्कूल जा रहे अपने साथी से कहा, 'देख अगर मैं एक सब्जेक्ट में फेल हो जाऊं तो कहना जय श्रीकृष्ण' 

'दो में फेल हो जाऊं तो कहना जय श्रीराम' 

'तीन में फेल हो जाऊं तो कहना जय महादेव' 

दोस्त सिर हिलाकर चला गया. 

स्कूल से निकलने के बाद उसने फोन किया 

घर पर रुक गए दोस्त ने पूछा, 'रिजल्ट देखा, क्या हुआ' 

जवाब मिला, 'संसार के सभी देवी-देवताओं  की जय' 

दोस्तों, कभी हंस भी दिया करो. फेल होना तो नियति है. 

2 टिप्‍पणियां:

  1. सारे देवी देवताओ के साथ आपकी भी जय हो।
    आपने तो शायद हम सभी के मन की बातो को पढ़ लिया।।
    अदभुत् लेख

    जवाब देंहटाएं
  2. सारे देवी देवताओ के साथ आपकी भी जय हो।
    आपने तो शायद हम सभी के मन की बातो को पढ़ लिया।।
    अदभुत् लेख

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