सबको मेरा सलाम
सवाल अचानक ही सूझा. गाड़ी दौड़ रही थी. म्यूज़िक सिस्टम पर एफएम सेट था. बाहर बारिश हो रही थी. रिमझिम रिमझिम. उसी से ताल मिलाती गूंज रही थी किशोर कुमार की आवाज़. 'रिमझिम गिरे सावन...'
सुलगते मन ने अचानक सवाल दाग दिया, 'किशोर कुमार सावन में न पैदा हुए होते तो क्या उनकी आवाज़ में वो आग होती कि सुनने वाला सुलगने लगे?'
जवाब कौन देता? मन की बला से. मन कोई राहुल द्रविड़ थोड़े है कि क्रीज पर टिक गए तो फिर हटेंगे नहीं. बारिश होती रही. गाड़ी दौड़ती रही. आईटीओ, यमुना ब्रिज, अक्षरधाम... मन भी दौड़ता गया. कहिए बहता गया. सड़क पर बहते पानी की तरह.
बरसात हो रही थी तो कहावत भी याद हो आई. 'बरसाती मेढ़क'. बरसात में तो मेढ़क भी निकल आता है. फिर हमारा- आपका 'राय' बनाने का अड्डा क्या मेढ़क से भी गया गुजरा है?
मन ने कहा, 'शब्दों की नाव बनाओ. तैरा दो. हो सकता है रायशुमारी के थम से गए पानी में भी कोई हलचल हो जाए.'
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बातें बहुत हैं. लेकिन, दिक्कत ये है कि बादल फट जाए तो पानी संभालना मुश्किल हो जाता है. सावन में तो रिमझिम रिमझिम गिरती बूंदे ही रास आती हैं. तो आज कुछ आंखों देखी बातें.
दिल्ली में रात के वक्त अगर आप आईटीओ से गुजरे हैं तो रेड लाइट पर ताली पीटकर कार की खिडकियां बजाने वाले दोस्तों से मुलाकात जरुर हुई होगी. जो भैये उन्हें इज्जत देना चाहते हैं वो उन्हें 'किन्नर' कहते हैं लेकिन उस जमात ने बार-बार कहा है कि उसे 'हिजड़ा' कहा जाए. हिजड़े मू़ड में हों तो आप लाख तुर्रम होते रहिए, जेब ढीली करके ही आगे बढ़ पाएंगे.
लेकिन, उस दिन मैंने कमाल देखा. अपना ड्राइवर एक कहानी सुना रहा था. कहानी सुनने में अपनी दिलचस्पी उतनी नहीं थी, जितनी उसकी सुनाने में थी. चलती गाड़ी आईटीओ पर खड़ी हुई तो हिजड़े खिड़की पीटने लगे.
'अरे सलमान खान... दे दे.' वो अंदाज ऐसा था कि खुद ही मुस्कुराहट आ गई. दिल दिल्लगी का हो गया. हाथ दाईं ओर उठा, ड्राइवर की ओर इशारा किया और कहा, 'शाहरुख से ले लो'. हिजड़ा टीम के तीन मेंबर ड्राइवर की तरफ पहुंच गए. ड्राइवर साहब की दिलचस्पी न उनमें थी और न उनकी डिमांड में. वो तो अपनी कहानी में कोई रुकावट नहीं चाहते थे. एक झटके में कहा, 'स्टॉफ.' इस शब्द का चमत्कार सरकारी बसों में कई बार देखा था लेकिन पता न था कि ये हिजड़ों के बीच भी धडल्ले चलता है. हलक से हाथ डालकर पैसे खींच लेने वाले हिजड़े चुपचाप आगे बढ़ लिए. उनकी कहानी याद नहीं लेकिन ये दलील शायद ही भुलाई जाए
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सपने वो नहीं होते जो रात में सोते समय नींद में आते हैं. सपने वो होते हैं जो रातों में सोने नहीं देते. (मसलन, बारिश का सपना...ये कलाम साब ने नहीं कहा, भाई ने जोड़ दिया है)
कलाम साहब... सलाम... दशक दो दशक बाद होती है मुलाकात... वहीं सितारों के बीच... तब तक दुआ देते रहिएगा, हुजूर
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जवाब देंहटाएंKalaam ko salaam.
जवाब देंहटाएंGood to see you again on another blasting blog.
जवाब देंहटाएंGood to see you again on another blasting blog.
जवाब देंहटाएंGood to see you again on another blasting blog.
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