मथुरा की सड़कों पर बापू के पदचिन्ह तलाशते 'युगांधर'
ट्रेन वक्त से कुछ पहले पहुंच गई. मैं मथुरा जंक्शन के प्लेटफॉर्म नम्बर दो पर खड़ा था. अपने स्टेशन पर असमंजस ज्यादा होता है. सारे रास्ते पहचाने से होते हैं. तय करना मुश्किल होता है कि दाएं से जाएं या बाएं से. अब मथुरा में दो फुटओवर ब्रिज हैं. मैने नए पुल पर चढने का फैसला किया.
प्लेटफॉर्म नम्बर एक पर उतरकर कुछ कदम ही बढ़ा था कि बैनर नजर आया, '100 साल बाद महात्मा गांधी की तलाश में युगांधर'. बैनर के साथ बीस एक लोग थे, साथ में महात्मा गांधी की तस्वीर भी थी, लोगों से कुछ पूछताछ करते चल रहे थे
उत्सुकता बढ़ी तो मैं रुका. सामने पुराने मित्र राकेश शर्मा दिखे. किसी वक्त वो एक बड़े नाम वाली पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं. तब से अपने साथियों के बीच वो 'विधायक जी' के नाम से मशहूर हैं. बैनर पर 'युगांधर' नाम के जिस संगठन का जिक्र था, विधायक जी उसके अध्यक्ष हैं
मेरी उत्सुकता शांत करने के लिए विधायक जी ने बताया, 'आज से ठीक सौ साल पहले महात्मा गांधी मथुरा आए थे. 14 अप्रैल को उन्होंने मथुरा जंक्शन से मद्रास जाने के लिए ट्रेन पकडी थी. मद्रास जनता एक्सप्रेस'
विधायकजी और उनकी टीम इतिहास के झरोखे में झांककर मथुरा की गलियों में बापू के कदमों के निशान तलाशने निकली थी. जाहिर है, उस दौर का कोई शख्स महात्मा गांधी के दौरे की गवाही देने के लिए मौजूद नहीं है.
उम्मीद थी कि रेलवे को इस बारे में कोई जानकारी होगी. वजह ये है कि 1915 में दक्षिण अ्फ्रीका से महात्मा गांधी की वापसी को केंद्र सरकार ने प्रवासी दिवस के मौके पर जोरशोर से याद किया. मथुरा जंक्शन पर
इन दिनों रेल सप्ताह भी मनाया जा रहा है. स्टेशन पर प्रदर्शनी लगाई गई है. उसमें रेलवे के लिए अहम तारीखों का जिक्र करते हुए एक बैनर लगा हुआ है. इस बैनर में भी बापू के मथुरा आने की कोई जानकारी नहीं है.
स्टेशन प्रबंधक केएल मीणा भी बापू के मथुरा आने और मथुरा जंक्शन से ट्रेन पकड़ने को लेकर अनिभिज्ञ थे.
युगांधर कार्यकर्ताओं ने जब जानकारी दी तो उन्होंने बापू को नमन करने की रस्म जरूर अदा की.
मुझे युगांधर के महासचिव पुण्डरीक रत्न ने बताया कि मथुरा के विधायक प्रदीप माथुर, जो कांग्रेस पार्टी के प्रबुद्ध नेता हैं, को भी बापू के मथुरा आने के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. बापू के पदचिन्ह तलाशते कार्यकर्ताओं ने जब माथुर से इस बारे में पूछा तो उन्होंने चौंककर कहा, 'अरे ऐसा है क्या?'
ऐसे में मैने युगांधर के अध्यक्ष से पूछा कि आखिर उन्होंने इतिहास की इस अहम तारीख को कैसे याद रखा.
अध्यक्ष राकेश शर्मा ने कहा, 'हमारे यानी युगांधर परिवार के वैचारिक गुरु मधुकर उपाध्याय जी ने यह अहम जानकारी हमें दी. श्री उपाध्याय वरिष्ठ प़त्रकार और प्रखर गांधी वादी चिंतक है. महात्मा गांधी की वापसी पर उनकी 100 एपीसोड की सीरीज, खामोशी की दास्तां आकाशवाणी पर प्रसारित हो रही है.'
राकेश शर्मा उर्फ विधायकजी ने कहा कि जिस दिन सर ने हमें ये अहम जानकारी दी उसी दिन हमने तय किया कि मथुरा की गलियों मे घूमकर पड़ताल करेंगे और पता करेंगे कि क्या किसी को याद हैं कि महात्मा गांधी कभी मथुरा भी आए थे.
महात्मा गांधी की याद को तलाशने निकली विधायक जी के युगांधरों की टीम एक गाड़ी पर बैनर लगाकर पूरे दिन मथुरा, गोकुल और वृंदावन की गलियों में घूमी, लेकिन, उसे कहीं कोई ऐसा शख्स नहीं मिला जिसे मथुरा और बापू के मेल की याद हो.
बापू मथुरा आए थे तो यहां की गंदगी देखकर बहुत दुखी हुए थे. मथुरा आज भी साफ नहीं. स्टेशन बेहतर हो गया है. शहर की सूरत बदल गई है. गांधी के नाम पर पार्क है. विकास बाजार में उनकी बड़ी मूर्ति लगी है. शहर के व्यस्त चौराहे होलीगेट के पास गांधी आश्रम है. लेकिन, उन्हें याद करने वाले और उनके बताए रास्ते पर चलने वाले कम ही हैं.
कम से कम सफाई को लेकर बापू के आग्रह को मथुरा ने पूरी तरह नजरअंदाज किया हुआ है. विधायक जी ने बताया कि उनका संगठन यमुना और मथुरा की सफाई के लिए जागरूकता अभियान चलाता है. संगठन ने कई बार घाटों की सफाई भी की है. 14 अप्रैल को, जिस दिन बापू ने मथुरा जंक्शन से मद्रास की टेन पकडी थी, युगांधर के कार्यकर्ता फिर से स्टेशन पर जुटेंगे. सफाई करेंगे और अपने बीच बापू के कदमों के निशान तलाशने की कोशिश करेंगे.
Heart touching story.. we salute to our father of nation...
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