शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015

...कोई तो ये लिफ्ट चला दे

                  क्या आपने की है कभी ये गुजारिश?

बरसों पहले पाकिस्तानी सिंगर अदनान सामी का गाना अक्सर सुनाई दे जाता था. 'थोड़ी सी तो लिफ्ट करा दे.' शायद ही कोई होगा, जो इस गाने को सुनने के बाद मौला को उसकी ऊंची शान का वास्ता देकर लिफ्ट कराने की मांग न कर लेता हो. 

 लेकिन, लिफ्ट सिर्फ ऊपरी मंज़िल पर ही नहीं पहुंचाती. कई बार बीच में अटका भी देती है. यकीन मानिए जब लिफ्ट अटकती है, तो हलक़ में सांस भी अटक जाती है.
मैं ख़ुद भी इसका अनुभव कर चुका हूं. हां, अपना लिफ्ट में अटकना ख़बर नहीं बना. तमाम लोगों का लिफ्ट में क़ैद होना ख़बर नहीं होता. वजह साफ़ है, लिफ्ट जब जेल बनती है तो ख़बर सिर्फ तभी होती है, जब अटकने ख़ास हो या फिर लिफ्ट इतनी देर तक फंस जाए कि खुद ही ख़बर हो जाए.

                     

      दिल्ली के वसंतकुंज में गुरुवार को एक लिफ्ट अटकी. सिर्फ़ पांच मिनट के लिए. लेकिन, मज़ा देखिए उसका शोर सारी दुनिया में हो गया. इस लिफ्ट में भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह सवार थे. ये लिफ्ट ऐसी अटकी कि तमाम कोशिश के बाद भी आगे नहीं खिसकी. सीआरपीएफ के शौर्य दिवस के कार्यक्रम में शिरकत करने आए राजनाथ को लिफ्ट ने शौर्य प्रदर्शन के लिए मजबूर कर दिया. दरवाजा नहीं खुला तो राजनाथ को बाहर लाने के लिए लिफ्ट की छत खोली गई. 'धोतीधारी तिरेसठ साल के जवान' राजनाथ सिंह स्टूल पर चढ़ कर स्टंट करते हुए बाहर निकले.

                          

     इसके बाद जो ख़बरें चलीं उनमें राजनाथ के शौर्य की कहानियां थीं. लिफ्ट और मेट्रो में अटकने के तमाम अनुभवों के जरिए मैं यकीन से कह सकता हूं कि ऐसी स्थिति में सामान्य बने रहना वाकई शौर्य है. अमेरिका के नार्थ कैरोलिना की एक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ली ग्रे बरसों अपने अध्ययन के आधार पर निष्कर्ष दे चुके हैं कि लिफ्ट में सवार होने के बाद ज्यादातर लोग अटपटा महसूस करने लगते हैं.

                    


अगर लिफ्ट अटक जाए तो ये अटपटापन दीवानगी की हद पार कर देता है. जिन देशों में बहुमंजिली इमारतें बहुतायत में हैं, वहां लिफ्ट में लोगों के अटकने की घटनाएं आम हैं. अमेरिका के न्यूयॉर्क में एक लिफ्ट 40 घंटे से भी ज्यादा देर तक फंस चुकी है.
 हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो चाहते हैं कि अगर वो खास कंपनी में हों तो अच्छा हो कि लिफ्ट अटक जाए. एक मशहूर संपादक का गोवा का लिफ्ट का किस्सा तो जाने कितनी बार चटकारे लेकर सुनाया गया है. वो थोड़ी सी तो लिफ्ट करा दे गा रहे थे, लेकिन इस गुज़ारिश ने उन्हें धरातल पर ला दिया. अपना तो ये ही कहना है कि अब आप अगली बार अदनान का गाना सुनें तो इन तमाम किस्सों को याद करें, तभी मौला से गुज़ारिश करें... थोड़ी सी तो लिफ्ट करा दे.      


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें