रविवार, 12 अप्रैल 2015

विराट, विवाद और 'वो'

चीकू जी कितना गुस्सा करोगे!

 

विराट कोहली हंसते हैं. मुस्कुराते हैं. शर्माते भी हैं. किसी 'खास' शख्स के जिक्र के बाद उनके चेहरे पर जो लाली छा जाती है, वो बस देखने लायक होती है. 



शनिवार को कोलकाता के ईडेन गार्डन्स पर सुनील गावस्कर के एक सवाल ने विराट के चेहरे को सुर्ख कर दिया. गावस्कर ने पूछा, 'क्या वो यहां हैं?' 'वो' ? बताने की जरुरत नहीं, विराट कोहली की ज़िंदगी की 'वो' हैं, खूबसूरत एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा. विराट कोहली की टीम आरसीबी कोलकाता में आईपीएल सीजन-8 का पहला मैच खेल रही थी और गावस्कर जानना चाहते थे कि क्या अनुष्का मैच देखने आई हैं ?. 

                     

शुक्र रहा, क्रिस गेल की उम्दा पारी ने विराट कोहली की टीम को जीत दिला दी. विराट इस मैच में फेल रहे. आईपीएल से पहले विराट का आखिरी मैच 2015 वर्ल्ड कप का सेमीफ़ाइनल मुक़ाबला था. अनुष्का सिडनी में हुए उस मैच को देेखने भी पहुंची थीं. सेमीफ़ाइनल में विराट 13 गेंदों पर सिर्फ एक रन बना सके थे. 


भारतीय टीम के बाकी बल्लेबाज भी कोई कमाल नहीं कर पाए और 2011 की वर्ल्ड चैंपियन टीम फ़ाइनल में जगह नहीं बना सकी. मैच के बाद क्रिकेट फैन्स सोशल मीडिया पर सक्रिय हुए. कई अपनी भड़ास निकालने लगे. विराट कोहली को कोसने वाले कुछ लोगों ने अनुष्का को भी निशाना बनाना शुरु कर दिया.


हालांकि, मीडिया, विराट के युवराज जैसे दोस्तों और सोशल एक्टिविस्ट ने विराट-अनुष्का के ख़िलाफ मुहिम चलाने वालों की जमकर आलोचना की. विराट का जितना विरोध हुआ, उनके पक्ष में और उनका बचाव करने वाले लोगों की संख्या उससे कम नहीं रही. लेकिन, विराट ने आलोचना को दिल में पाल लिया. आईपीएल में आरसीबी के शुरुआती मैच के पहले वो मीडिया से रुबरु हुए तो फट पड़े. उन्होंने कहा, '' जिन लोगों ने ये बातें कहीं हैं, उन्हें खुद पर शर्म आनी चाहिए. ''

                                        
इसी रौ में विराट कोहली अपने रिकॉर्ड गिनाने लगे. विराट ने दावा किया, '' मुझे नहीं लगता कि बीते पांच सालों में टीम में कोई ऐसा होगा, जिसने मुझसे बेहतर प्रदर्शन किया हो.''

ये दावा विराट कोहली का गुरुर जाहिर करता है. आलोचना करने वालों को जवाब देना विराट का हक़ है, लेकिन, टीम के बाकी खिलाड़ियों के साथ इस तरह की तुलना करते हुए क्या वो अपने साथियों का ही अपमान नहीं कर रहे ? क्रिकेट एक टीम गेम है. विराट कोहली नंबर तीन पर बल्लेबाज़ी करते हैं. निश्चित ही टॉप ऑर्डर में खेलने वाले बल्लेबाज़ों के पास रन और शतक जमाने के ज्यादा मौके होते हैं. विराट अपनी बल्लेबाजी पर ऐसा गुमान रखते हैं तो ये जरुर पूछा जाएगा कि उन्होंने अपने दम पर टीम इंडिया को कौन सी ट्रॉफी दिलाई है. 2011 वर्ल्ड कप में सचिन तेंदुलकर भारत के सबसे कामयाब बल्लेबाज थे. 2013 की चैंपियन्स ट्रॉफी के हीरो शिखर धवन थे. 2015 के वर्ल्ड कप में भी शिखर धवन ने विराट से ज्यादा रन बनाए. 

                         

वर्ल्ड कप से पहले ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ टेस्ट सीरीज में विराट का बल्ला खूब गरजा, लेकिन, वो भारत के लिए एक भी मैच नहीं जीत सके. आईपीएल की बात करें तो भी विराट सातवें सीजन तक अपनी टीम को एक बार भी चैंपियन नहीं बना पाए हैं. हालांकि, इन तमाम नाकामियों के बाद भी करोड़ों फैन्स विराट को सिर माथे पर बिठाते हैं. फैन्स की इस दीवानगी की वजह से वो भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े ब्रान्ड हैं. उनके पास 26 बरस की उम्र में ही करोड़ों का बैंक बैलेंस है. विराट य़े कह सकते हैं कि शानदार खेल ने उनके लिए कामयाबी के दरवाजे खोले हैं, लेकिन, उन्हें याद रखना होगा कि चार साल पहले ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर जब उनका बल्ला पहले दो टेस्ट मैचों में खामोश रहा तो उन्हें टीम से बाहर करने की मांग उठने लगी. तब कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने विराट का समर्थन किया, तीसरे टेस्ट में मौका दिया और वो शतक जमाने में कामयाब हुए. ये मौका न मिलता तो कोहली की कामयाबी की कहानी भी इतनी विराट न होती. 

जिक्र धोनी का आया है तो ये बताना लाजमी है कि 2007 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की नाकामी के बाद धोनी को इस कदर विरोध झेलना पड़ा था कि वो अपने घर रांची तक नहीं जा सके थे. दीवानगी के दौर में धोनी का पोस्टर दीवार पर लगाने वालों ने वर्ल्ड कप में हार के बाद धोनी के नाम पर बिकने वाला गुटखा खाकर उनकी तस्वीर पर चित्रकारी कर दी थी. धोनी तब भी विराट कोहली की तरह आग बबूला नहीं हुए. वो जानते थे कि कामयाबी के दिनों में सिर माथे पर बिठाने वाले नाकाम होते ही जमीन पर पटक देते हैं. धोनी को जो कहना था, उन्होंने अपने प्रदर्शन से कहा. 6 महीने बाद दक्षिण अफ्रीका में हुए वर्ल्ड टी-20 को जीतकर उन्होंने भारतीय क्रिकेट की तस्वीर बदल दी. 



विराट कोहली के पास भी इस रास्ते को आजमाने का मौका था, लेकिन, वो ईंट का जवाब पत्थर से देने में यकीन करते हैं. विरोधी खिलाड़ियों से विराट कोहली की तकरार जगजाहिर है. उन्होंने अपने साथियों को रगड़ने का भी कोई मौका नहीं छोड़ा. विराट कोहली गौतम गंभीर से सरे मैदान उलझ चुके हैं. सुरेश रैना और शिखर धवन के साथ उनकी तकरार ने भी खूब सुर्खियां बटोरी थीं. 


व्यवहार के स्तर पर विराट कोहली ने कभी ऐसा आदर्श मानदंड स्थापित नहीं किया, जिससे वो दूसरों को सीख दे सकें. हाल में ऑस्ट्रेलिया में ही वो एक पत्रकार पर ऐसा भड़के कि हर कोई हैरान रह गया. यहां भी किस्सा ये था कि वो माने बैठे थे कि उस पत्रकार ने उनके और अनुष्का के बारे में कोई खबर लिखी थी. 



कोहली और अनुष्का का संबंध दोनों का निजी मामला है. कोहली भले ही मैदान से लेकर सोशल मीडिया तक इस रिश्ते का अलग-अलग ढंग से प्रचार करते रहें, (कई लोगों का दावा है कि इससे दोनों को व्यावसायिक फायदा मिलता है) , फिर भी दूसरों को इस रिश्ते को लेकर अशोभनीय बातें करने का हक़ नहीं मिलता. लेकिन, विराट कोहली को भी व्यवहार की मर्यादा को समझना होगा. गायत्री परिवार के आचार्य श्रीराम शर्मा का मशहूर कथन है, 'जो व्यवहार तुम्हें अपने लिए अच्छा नहीं लगता, वो दूसरों के साथ मत करो'. मुझे यकीन है कि विराट कोहली को भी हंसना, मुस्कुराना और शर्माना अच्छा लगता होगा. शायद गावस्कर ने भी इसीलिए विराट से चुटकी ली होगी. शायद वो कहना चाहते हों... चीकू जी, कितना गुस्सा करोगे? कभी हंस भी लिया करो. 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें