मंगलवार, 21 अप्रैल 2015

सरोकार पर भारी 'सरकार' का सूट

भारतीय राजनीति का फ़ैशन फंडा 


बराक ओबामा मुस्कुराए. अगले पल उन्होंने जो कहा, उसने अचानक ही, भारतीय राजनीति की दलदली जमीन पर कमल की तरह खिले नरेंद्र मोदी को सजी संवरी फ़ैशन की दुनिया में पहुंचा दिया. ओबामा ने कहा, ' हमारे घरेलू अखबार लिखते हैं, मिशेल ओबामा परे हट जाइये. दुनिया को नया फ़ैशन आइकन मिल गया है.' मिशेल, अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी हैं और उनके फ़ैशन की समझ की दुनिया कायल है. ओबामा भारतीय ज़मीन पर ख़ड़े होकर बड़े इत्मिनान से बता रहे थे कि उनकी पत्नी का फ़ैशन सेंस अब फीका पड़ने लगा है. मोदी उनसे कही आगे निकल गए हैं.

बराक ओबामा ने जो कहा, उसकी सचाई परखने के लिए अमेरिकी अखबारों को पलटने की जरुरत नहीं. बस, ओबामा के जनवरी के भारत दौरे को याद कर लीजिए. ओबामा, नरेंद्र मोदी के बुलावे पर गणतंत्र दिवस समारोह में चीफ गेस्ट के तौर पर आए थे. दौरा एतिहासिक था. पहली बार अमेरिका का कोई राष्ट्रपति भारत के गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में शरीक हुआ. लेकिन, महज़ तीन महीने बाद उस दौरे की जो इकलौती बात लोगों के जेहन में ताज़ा है, वो है, मोदी का बार-बार ड्रेस बदलना. मोदी ने ओबामा का एयरपोर्ट पर स्वागत किया तो वो जैकेट के ऊपर शॉल डाले थे. उस रात डिनर के वक्त बैगी सूट पहने थे और गणतंत्र दिवस समारोह में बंद गले के सूट के ऊपर पगड़ी बांधे थे.



लेकिन, मोदी के जिस सूट ने दिल्ली के चांदनी चौक से लेकर न्यूयॉर्क के फिफ्थ एवेन्यू तक का ध्यान खींचा वो कुछ 'खास' था. नीले रंग के बंद गले के सूट पे बारीक धारियां थीं. गौर से देखने पर जाहिर हुआ कि इस पर भारतीय प्रधानमंत्री का पूरा नाम कढ़ा था, नरेंद्र दामोदर दास मोदी.

मोदी के इस सूट ने अचानक राजनीति की सूरत बदल दी. ओबामा उनके फ़ैशन सेंस के कायल हो गए. मान लिया कि भारतीय प्रधानमंत्री उनकी पत्नी से आगे निकल गए हैं. लेकिन, फ़ैशन वर्ल्ड में मोदी की बढ़त भारतीय राजनीति में उनके लगातार बढ़ते ग्राफ को आगे ले जाने में कामयाब नहीं हुई. प्रतीकों की राजनीति में मोदी से पिछड़ते विपक्षी दलों को 10 लाख का बताया गया ये 'सूट' भा गया. मौका दिल्ली चुनाव का था. मफ़लर लपेटकर बेचारगी जाहिर करने वाले अरविंद केजरीवाल ने दस महीने से उफ़ान पर दिखती मोदी को लहर को थामा तो अमेरिकी अखबारों तक ने इसे 'दस लाख के सूट पर मफ़लरमैन' की जीत बताया.


दिल्ली चुनाव का नतीजा आने के दस दिन के अंदर ही मोदी ने इस चर्चित सूट को गंगा के नाम कर दिया. एक नीलामी में ये सूट करीब 4 करोड़ रुपये में बिका. सूट गया, लेकिन, उसकी यादें बाकी हैं. दो महीने के ब्रेक के बाद सक्रिय राजनीति में लौटे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को एक बार फ़िर मोदी के सूट की याद ताज़ा करा दी. लोकसभा में किसानों का दर्द बयान करते राहुल ने मोदी सरकार को 'सूट-बूट सरकार' बताया. अब तक राहुल लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त और अपनी छुट्टी को लेकर लगातार बीजेपी के निशाने पर थे, लेकिन, सिर्फ एक सूट के जिक्र के जरिए उन्होेंने बीजेपी को डिफेंसिव होने के लिए मजबूर कर दिया.



सूट की सियासत के बीच मोदी का पिछड़ना हैरान करने वाला है. मोदी अपने आक्रामक तेवरों के लिए मशहूर हैं. वो विपक्ष के हमलों को अपने हक़ में भुनाने का हुनर जानते हैं. इस अंदाज ने ही उन्हें ताज दिलाया है. फिर जाने क्यों, एक सूट ने उन्हें सन्नाटे में ला दिया है. मोदी अपने अंदाज में सवाल कर सकते हैं, 'सूट पहनना कोई गुनाह है क्या?' भारत का ऐसा कौन सा प्रधानमंत्री हुआ है, जिसने सूट नहीं पहना ? जवाहर लाल नेहरू? राजीव गांधी? गांधीवादी मोरारजी देसाई? या फिर स्वयंसेवक अटल बिहारी वाजपेयी ?


साभार
राहुल गांधी भी सूट में दिखते रहे हैं. दूसरे कई नेता भी सूट पहनना पसंद करते हैं. लेकिन, प्रतीकों की राजनीति की वजह से ज्यादातर मौकों पर कुर्ते में ही नज़र आते हैं.



कपड़े पर नाम लिखा हो, ये भी कोई गुनाह तो नहीं. अरविंद केजरीवाल ने तो दूसरों तक को ऐसी टोपियां पहना दी हैं, जिन पर उनका नाम लिखा हो.



सूट की सियासत को लेकर मोदी की झिझक समझ के परे है. उन्हें तो साफ़ कहना चाहिए, सरकार की पहचान सूट से नहीं सरोकार से होती है. 'सरकार' कुर्ते में दिखें, मफलर बांध लें या सूट में नज़र आएं, जनता को फर्क नहीं पड़ता. उन्हें शिकायत तभी होती है, जबकि आपके मखमली कपड़े उसकी तार-तार होती तकदीर पर पैबंद नहीं लगा पाते. क्यों किसान भाईयो, सच है ना!

13 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. इस मंच पर आने के लिए शुक्रिया 'मीडिया स्कैन'

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  2. सच ही कहा आपने सरकार की पहचान सूट से नहीं सरोकार से होती होती है । क्या बात है :)

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  3. सच ही कहा आपने सरकार की पहचान सूट से नहीं सरोकार से होती होती है । क्या बात है :)

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