रविवार, 14 फ़रवरी 2016

... सलाम-ए- इश्क

1942 ए लव स्टोरी




दिल थोड़ा रुमानी है. कल बसंत पंचमी थी और आज है वेलेंटाइन्स डे.

प्यार. इश्क और मोहब्बत का मौसम.

प्रेम हुआ और हाल-ए-दिल पन्ने पर न उतरा तो क्या मज़ा

अब पाती नहीं तो फेसबुक की वॉल है. एसएमएस है. व्हाट्सएप है. ट्विटर है.

इश्क है तो बात सिर्फ कहने भर से पूरी नहीं होती. आंखें भी बोलती हैं और दिमाग भी. उंगलियां भीं.

ये क्या है, आप तभी समझ सकते हैं, जबकि मोहब्बत में डूबे हों.

दुनिया का पहला प्रेम पत्र श्रीकृष्ण के नाम था. रुक्मिणी जी ने लिखा था.

दो टूक. ये प्यार का पैगाम भी था और आमंत्रण भी. आओ. मेरे परिवार वालों को हराओ और मुझे ले जाओ.

रुक्मिणी प्रद्युम्न की मां थीं और प्रद्युम्न थे कामदेव का अवतार.

विधाता की रचनाओं में सर्वश्रेष्ठ. सबसे सुंदर. देखते ही मोहित कर लेने वाले देवता. नज़र पड़े तो फिर हटाते न बने.

बसंत कामदेव का ही पर्व है.

और जो बसंत पंचमी को जन्मा हो उसमें कामदेव का अंश न हो क्या ये मुमकिन है.
इश्क की ये कहानी करीब आठ दशक पुरानी है. 

उस वक्त हिंदुस्तान में अंग्रेजों का राज था लेकिन संत वेलेंटाइन को जानने वाले नहीं थे. 

अब तक पिछड़े माने जाने वाले बिहार का उस वक्त हाल क्या रहा होगा, जरा अंदाजा लगाइये. 

श्रीकृष्ण को लेकर अगाध आस्था का दौर तब भी था लेकिन बिहार के एक गांव में किस्से कहानियों को सुनाने वाली दादी और नानियां रुक्मिणी के प्रेम पत्र की चर्चा नहीं करती थीं. 

वो नटखट गोपाल के किस्से सुनाती थीं. 

कृष्ण की कहानियों में राधा और गोपियां भी आती होंगी लेकिन प्रेम और पत्र का चर्चा नहीं होता रहा होगा. 

आलम ये था कि उस वक्त कानून की पढ़़ाई करने वाला एक होनहार नौजवान मायके में रहती अपनी पत्नी को पत्र लिखता था, तो उसकी सास को बात अखर जाती थी. 

वो बात बेटी से करतीं और पति को ताना देतीं. 'देखो तो कैसा लड़का तलाशे हैं. चिट्ठी लिखता है. बनारस घूमने बुलाता है'. 

उन्हें क्या अंदाजा था. बसंत पंचमी को जन्मे उस होनहार नौजवान के दिल में कृष्ण का पुत्र भी है. 

मैंने वो ख़त नहीं देखे. सिर्फ उनके बारे में सुना है. उस मोहब्बत को भी नहीं देखा. सिर्फ उसके बारे में सुना है. 

महसूस किया है. वजह भी है. वो मोहब्बत न होती तो आज हमने भी ये दुनिया नहीं देखी होती. 

1940 के दशक में कानून की पेचीदा धाराओं और दफाओं के बीच प्यार करने वाला दिल संभाले रखने वाले वो होनहार नौजवान मेरे नाना थे. 

आज होते तो पूरे 101 बरस के होते. उनके ज्ञान की, उनके जीते हुए मुकद्मों की , उनकी कामयाबी की कहानियां सुनने और सुनाने वाले कई है. 

लेकिन, मैं कुर्बान हूं उनकी मोहब्बत पर. 

मेरी नानी राजा की बेटी थीं और नाना रेलवे में काम करने वाले एक क्लर्क के बेटे. 

लेकिन, नानी की मोहब्बत में उन्होंने अपने परिवार के लिए राजसी ठाठ हासिल किए. मेहनत से. जब लोग साइकिल खरीदने का ख्वाब मुश्किल से देखते थे. नाना ने अपनी कमाई से कार ली. बड़ा बंग्ला बनाया. 
मोहब्बत के सात रंग सात बच्चों में साकार हुए. 
मेरी नानी के लिए नाना के प्यार ने जो संसार बसाया वो फलता और फूलता हुआ उस इश्क के ही सदके है. 1942 की वो लव स्टोरी न होती तो आज ये कहानी भी नहीं होती. 
नानी हैं और उनके पास नाना की वो तमाम कहानियां भी हैं. हमेशा के लिए. दोनों को सलाम. 
 

11 टिप्‍पणियां:

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  2. Golden stories need only few words to convey the truth......and your's is exactly the one .... kudos for narrating such a wonderful and soulful story.....keep touching our soul....God's blessings and our best wishes are ....always and always with you......Amresh Kumar

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  3. Golden stories need only few words to convey the truth......and your's is exactly the one .... kudos for narrating such a wonderful and soulful story.....keep touching our soul....God's blessings and our best wishes are ....always and always with you......Amresh Kumar

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  4. Golden stories need only few words to convey the truth......and your's is exactly the one .... kudos for narrating such a wonderful and soulful story.....keep touching our soul....God's blessings and our best wishes are ....always and always with you......Amresh Kumar

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  5. अद्भुत लेखन।।।।
    बड़ा ही अनमोल मोती पिरोया आपने।धन्यवाद् आपका।

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  6. अद्भुत लेखन।।।।
    बड़ा ही अनमोल मोती पिरोया आपने।धन्यवाद् आपका।

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  7. Incredible n heart touching tears rolled down my eyes....thank u bhaia

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  8. Incredible n heart touching tears rolled down my eyes....thank u bhaia

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  9. समस्त मोती को आपने माला में पिरो दिया

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